name='verify-cj'/> चलते चलते: दक्षिण भारतीयों को बस एक ही नाम से जानते हैं "मद्रासी"

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Tuesday 1 July, 2008

दक्षिण भारतीयों को बस एक ही नाम से जानते हैं "मद्रासी"

तीन साल पहले तक कर्नाटक, तमिलनाडु या केरल ये सब मेरे लिए बस एक नाम थे.मैप या सिर्फ़ चित्रों मे इन जगहों को देखा था और मन मे दबी सी एक हसरत थी कि कभी जाउँगा. तीन साल पहले दिल्ली मे जीवन संघर्ष जारी था कि एक मित्र
के ज़रिए कर्नाटक आने का मौका मिला. मुझे तब ज़रा भी इल्म नही था बेंगालुरू मुझे इतना कुछ देगा. करियर, एक नया जीवन, प्यार और बहुत कुछ. हम उत्तर भारत मे दक्षिण भारतीयों को बस एक ही नाम से जानते हैं "मद्रासी".शुरू के दो महीने रहने
के बाद ही मेरा परिचय दक्षिण के चारों राज्यों उनकी अलग अलग संस्कृति और स्वाद का सही मायनों मे पता चला. पिछले साल जब मेरा कोस्टल बेल्ट के सबसे खूबसूरत शहर मेंगालुरु मे ट्रान्स्फर हुआ तब ज़्यादा बुरा नही लगा क्यूंकी सारे मित्र बस कुछ घंटे
कि ही दूरी पर थे.बेगालुरु क़ी ज़िंदगी जहाँ तेज़ रफ़्तार और चकाचौध भरी थी वहीं मेगलूर एक शांत और अलसाया हुआ शहर लगा. क्राइम बेहद कम और महिलाओं को उन्मुक्त घूमने की आज़ादी. ट्रफ़िक नही और साफ सुथरी सड़कें जीवन को बेहद आसान बना देती हैं.
उत्तर भारत की सड़कों पर एक अज़ीब सा अग्रेशन रहता है. मेरा यकीन मानिए पूरे देश मे कर्नाटक से ज़्यादा सीधे साधे लोंग कहीं नही मिलेंगे.बेंगालुरू मे पैसे ने ज़रूर लोंगों को बदल दिया है पर कोस्टल इलाक़े मे आप कहीं भी जाइए लोंग खुले दिल
से आपका स्वागत करेंगे. मैं इलाहाबाद से बेहद प्यार करता हूँ पर मेगालुरु ने मुझे कभी प्रयाग क़ी कमी नही खलने दी. अगर आपको सामुद्री खाना पसंद है तो ये जगह गोआ से कम नही है. इतने अलग तरह के दोसे भी मैने कभी नही खाए
थे. अगर आप यहाँ आए तो कोरी रोटी ज़रूर खाएँ, ये यहाँ सबसे ज़्यादा खाया जाने वाला व्यंजन है. चिकन और लोकल मसालों क़ी ग्रेवी और साथ मे चावल क़ी रोटी, इसे ही कहते हैं कोरी रोटी. फिश फ्राइ और चावल आपको दुनिया में सबसे अच्छा यही
मिलेगा.और अगर खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक पीने का मन करे तो आइडिया छोड़ दीजिए. होटल के बाहर निकालिए और पाँच रुपये मे ताज़े नारियल पानी का आनंद लीजिए.गोआ के सामुद्री तट जहाँ हमेशा भीड़ भरे रहते हैं वहीं मेंगलूर के बीचों पर आपको हमेशा
शांति मिलेगी. कई ऐसे तट हैं जहाँ मानव दखल ना के बराबर है. समुद्र जब शांत रहता है तो मछुआरों क़ी नौकाएँ दृश्य को और भी मनोरम बना देती है. और मेरी तरह अगर आप भी किसी मछुआरे से दोस्ती कर लें तो फिर आपको एक
यादगार नौका यात्रा का आनंद मिलेगा. मैने क्रूज़ यात्रा भी क़ी है पर मछुआरों के साथ बिताया दिन मेरी हर यात्रा से बेहतर है.यहाँ पर कई मशहूर धर्मस्थल हैं. मंगलदेवी मंदिर शहर के उत्तर मे स्थित है. ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम ने यहाँ तपस्या
कि थी और उन्हे देवी ने दर्शन दिया था. दक्षिण के मंदिर बेहद साफ सुथरे और सुसंगठित होते हैं.इन्फैंट ईसा मसीह श्राइन मासीही समुदाय का सबसे बड़ा धर्मस्थल है. एक अनोखा शहर है ये, यहाँ आपको दीवाली और क्रिसमस दोनो पर्वों पर पूरा शहरसज़ा
मिलेगा. पुराने ब्रिटिश स्टाइल के बंगले अभी भी है और लोंग उन्हे बेहद सहेज कर रखते है. मौसम यहाँ पूरे साल सुहाना ही रहता है, बस मानसून कि बारिश लगातार होती है और आप इसे जितनी जल्दी अपने जीवन का हिस्सा मान लें उतना ही बेहतर.बेंगालुरू
को कर्नाटक मानने वालों को कोस्टल कर्नाटक कि यात्रा ज़रूर करनी चाहिए.

6 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने। मैं कर्नाटक में काफी रही हूँ। पसन्द भी बहुत आया यहाँ रहना।
घुघूती बासूती

Unknown said...

पहले ऐसा अवश्य होता था कि उत्तर भारत के ज्यादातर लोग दक्षिण भारतीयों को बस एक ही नाम से जानते हैं "मद्रासी", पर अब ऐसा नहीं है. अब ज्यादातर लोग दक्षिण भारतीयों को अब उन के प्रदेश के आधार पर जानते और पहचानते हैं.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ध्न्यावाद,एक अच्छी जान कारी देने के लिये, भाई यह जरुर लिखो कोन से मोसम मे यहां आना उचित हे, क्यो की हमारे पास तो बस अगस्त महीना ही होता हे, ओर हमारा प्रोगराम २००९ मे ही बन रहा हे

Udan Tashtari said...

अच्छा आलेख. यह स्थिति अब से कुछ वर्षों पूर्व तक निश्चित ही सही थी.

E-Guru Maya said...

चलिए अच्छी बात है कि आप इन तीनों राज्यों में अन्तर करना सीख गए. पर हम तो आज भी सबको तम्बी ही समझते हैं. :)

E-Guru Maya said...

चलिए अच्छी बात है कि आप इन तीनों राज्यों में अन्तर करना सीख गए. पर हम तो आज भी सबको तम्बी ही समझते हैं. :)