IPL IPL IPL, हर तरफ यही हल्ला मचा है. गोया देश में और कुछ हो ही नही रहा है. अब तक १०० से ज़्यादा बार लोंगो को बता चुका हूँ कि 'भैया' लोंगो कि कोई टीम नही है. बस मन मे ही कई नाम लिए घूम रहे है, लखनऊ नवाब, प्रयाग चैलेनज़र और ना जाने क्या क्या. अजीब सा धर्मसंकट है, हर किसी के पास एक पहचान है.ऐसा हो गया ही कि अगर आपकी कोई टीम नही है तो समझो आप आउटडेटेड हैं. अगला बंदा तरस ख़ाके बोलता है कि कोई बात नही यार अगर यू.पी कि टीम नही है तो तू मेरी टीम को सपोर्ट कर ले . इतना गुस्सा आ रहा है बहन मायावती पर, एक टीम खरीद लेती तो का हो जाता भाई. अरे अभी ताजमहल के अलावा कई चीज़ें हैं यू.पी में बेचने को. अबकी जन्मदिन पर IPL चंदा का नियम हो जाता तो क्या बुरा था. मुलायम भाई भी नही सुन रहे, अनिल अंबानी जी से गहरी दोस्ती है, उनही से कह के एक टीम का जुगाड़ फिट कर देते तो अगले चुनाव मे अच्छा चांस रहता. अब बड़ी मुश्किल हो गयी है आफ़िस जाने में, विदेशी भाई लोंग भी एक एक टीम चुन लिए हैं और लगा रहे है नारा. खुन्न्स खाए हुए हमने अपनी माताश्री फोन किया और पूछा जल्दी बताओ कि क्या हमारे ख़ानदान में कोई मोहाली, बंगलूर, बंबई, दिल्ली, या चेन्नई से है क्या.जवाब आया, कोई प्रतापगढ़ और इलाहाबाद के बाहर से नही आया है और तुम चेन्नई कि बात कर रहे हो. अफ़सोस, ये आप्शन भी गया. तभी एक मित्र ने आइडिया दिया कि जो खिलाड़ी सबसे ज़्यादा पसंद हो उसी कि टीम के साथ तुम भी हाल्लियाओ. ये आइडिया भी फेल, शोएब अख़्तर पसंद हैं, पर वो तो पाकिस्तानी तमाशे का शिकार हो गये हैं. हे राम, पहला मैच आ भी गया और हम अभी भी धर्मसंकट मे थे. लेकिन पहले मैच ने ही हमे दिशा दिखाई, अब कर्नाटक में है तो ज़्यादा लोंग बंगलूर को ही चीयर कर रहे थे, हमने आदतन उल्टी राह पकड़ी और कोलकाता के लिए लगे चिल्लाने. प्रयास व्यर्थ नही गया और हम जीत गये. आहा अब पहचान है हमरे पास, कोरबो, लोरबो, ज़ीतबो रे. आप लोंगो का क्या हाल है?
Saturday, 19 April 2008
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8 comments:
हमारा क्या हाल है? ठीक है. नीलामी हमें कभी पसंद नहीं रही, चाहे वह मकान की हो, या नेट पर सामान की हो, या जेंटलमैन क्रिकेट खिलाड़िओं की हो. सुना है अरब में औरतों की और गुलामों की नीलामी होती थी. अब औरतें तो तरक्की कर गईं. गुलाम क्रिकेटर बन कर नीलाम होने लगे. अब इन नीलाम हुए गुलामों से जुड़ेंगे क्या? भाई इतना स्टैंडर्ड नहीं गिरा है हमारा.
भाई सुरेश जी बहुत सही बात कह रहे हैं.
सुरेश जी, आपके विचार से मैं भी सहमत हूँ. इसे एक व्यंग की तरह पढ़े.
अच्छा लिखा है ।वैसे अगर मायावती को पता होता की IPL इतना पैसा बरसाएगी तो शायद वो एक टीम खरीद ही लेती ।
अति सुंदर. बधाई.
बेहतरीन लेखन.
सही लिखा.
माया की माया भाई , आप का लेख बहुत ही सुन्दर ओर सटिक लगा.
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