Sunday, 20 April 2008
कौन बनेगा पत्रकार नंबर वन मे आपका स्वागत है
ज़माना रियल्टी शो का है. रियल्टी अब इतनी रेयर हो गयी है कि सिर्फ़ टी.वी पर दिखती है. हर एक हुनर अब टी.वी के ज़रिए तलाशा जा रहा है. गाने बजाने तक तो ठीक था, अब नेता भी बुद्धू बक्से से निकलेंगे. माफ़ कीजिएगा, एक नेता जी तो निकल भी चुके हैं. कहाँ है आजकल क्या कर रहे है? मैं भी कितना मूर्ख हूँ कि ये प्रश्न कर बैठा, अरे भाई चैनल का फ़ायदा हो गया और नेता जी भी काफ़ी समय तक टी.वी पर कई मुद्राओं मे भाषण देकर अल्पकालिक प्रसिद्धि पा लिए. अब हम लाख चिल्लाएँ कि भाई हम इतना एसमएसियाए थे हक है हमारा कि हम पूछे नेता जी कहाँ हैं. चिल्लाते रहो चैनल की बाला से. फिर से किसी और हुनरमंद की तलाश होगी और हम फिर से दूर ध्वनि यंत्र के शब्दकोष मे जाकर साक्षिप्त संदेश प्रतिभागी के कोड के साथ भेज देंगे. क्या गाता है, क्या बजाता है या कैसा बोलता है, इसकी किसको फ़िक्र है बस अपने प्रदेश का हों, इतना काफ़ी है. अरे यार अजीब सी उलझन है, हम क्या सारी ज़िंदगी एसमएसीयाते ही रहेंगे. हमे भी तो अपना हुनर दिखना है जनता को, वोट माँगना है. इतना सोच ही रहे थे कि अंदर से आवाज़ आई कि मियाँ कोई हुनर भी है आप में. पता नही कौन नामुराद अंदर से बोलता है पर जब भी बोलता है बात सच ही होती है. अंदर से आई आवाज़ ने अपनी बात फिर से कही, "मियाँ कभी गाना गाए भी हो, बस गर्मी के दिन मे स्नान के वक़्त गाते हो, जाड़े मे तो नहाते नही तो गाओगे कहाँ से." हमने सोचा बात तो सही है, एक बार कॉलेज मे गाया था तो सबने कसम दिलाई थी कि दोबारा हर काम करना पर गाना नही. ये अंदर वाले भाईसाहब को सब पता होता है. अब क्या करें? हमे तो सिर्फ़ खबरों कि दुनिया के दाँव पेच ही आते हैं. तभी एक ख़याल आया, अगर पत्रकार भी रियल्टी शो के द्वारा चुनें जाएँ तो कुछ चांस बनेगा.ज़रा सोचिए मंच जगमगा रहा है और एक सुंदर सी कन्या कहती है, "कौन बनेगा पत्रकार नंबर वन मे आपका स्वागत है." पहला दौर शुरू होता है. मंच पर एक से बढ़कर एक दिग्गज संपादक बैठे हुए हैं. सभी नये मुर्गो से कहा जाता कि स्टोरी आइडिया बताओ. पहला नंबर हमारा, हमने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा कि विदर्भ.............., बात पूरी भी नही हुई थी कि जजों ने स्कोर दे दिया 'अंडा'. शो का संचालन रही कन्या को हमारे उपर तरस आया तो उसने संपादकों से कहा कि इस नवयुवक को कुछ फीडबैक दें तो ये अगले दौर मे बेहतर करेगा.एक संपादक जिनका नाम ग़ज़ब शर्मा है बोले, "आमा यार तुम ये कौन सी पत्रकारिता पढ़ कर आए हो, इसी तरह बोलते रहोगे तो एक दिन अजायाबघर पहुच जाओगे. कोई भूत प्रेत वाली कहानी बताते तो मैं सुन भी लेता. पता है हमारे चैनल का नाम भारत टी.वी है."दूसरे संपादक जिनका नाम प्यार से साथियों ने दिया है, 'प्रचंड भूतनाथ स्टोरी वाले बाबा जी,' कुछ सोचकर वो बोले, "क्या यार तुम रखी सावंत को नही जानते क्या? फ़र्ज़ी स्टिंग कैसे करते है इसकी ट्रेनिंग तुम्हे नही दी गयी क्या? क्या खाक पत्रकार बन पाओगे. " तभी एक ज़ोर का म्यूज़िक बाज़ता है, और मुझे पीछे से कहा जाता है कि कुछ आँसू बहाओ और माफी माँगो. हमने कहा ई सब हमसे नही होगा. नेपथ्य से एक आवाज़ आती है, अरे यार स्क्रिप्ट मे है तो रोना पड़ेगा ही नही तो बाहर जाओ. ये थे शो के डायरेक्टर अनरियल कुमार.दूसरे नवजवान पत्रकार का नंबर आता है, वो बोलता है..., नही बोलता कम है और चापलूसी ज़्यादा करता है. इस नवजवान का नाम है प्रेतानंद. तो प्रेतनंद जी बोलते हैं, " सर मैं तो आप को ही देख कर बड़ा हुआ हूँ, आप क्या काम करते हैं सर, एकदम छा गये हैं. मेरे पास तो एक बेहतरीन आइडिया है. अगर हम कुतुब मीनार के बाहर प्रोजेक्टर लगा कर किसी का भूत दिखा दें और फिर बोलें कि वो एक प्रेमी कि भटकती हुई आत्मा है जिसे पुलिस ने फ़र्ज़ी मुठभेड़ मे मार गिराया था तो बेहतरीन स्टोरी बनेगी. सर मेरे पास तो काफ़ी सोर्स भी हैं, सब रंगकर्मी हैं और अच्छा अभिनय कर लेते हैं. इंस्पेक्टर से भी बात कर ली है बस उसे ५० सेकेंड तक टी.वी पर दिखाना होगा और आफीशियल बाईट का जुगाड़ भी हो जाएगा."पूरा हाल तालियों कि गड़गड़ाहट के साथ गूँज गया. प्रेतानंद को मिले दस मे दस. हमारा क्या हुआ? पढ़िए अगले अंक में, इसी ब्लॉग पर.
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6 comments:
rochak lekh hai--rakhi sawant ke baaare mein jaankari lazimi hai--[sahi hai!]
-kutub minar par bhoot ka idea bura nahin hai--kisi TV wale ki najar pad bhi gayee hogi ab tak --
pata nahi aajkal ke patrkar kuch adhyaan karte hai ya nahi ya khabro ki sachaaayi janne ki koshish bhi nahi karte kai bar BYTES ke chakkar me galat news bhi de dete hai,dukh ki baat hai us par koi khed prakat nahi hota...vaise bhi reality tv par jyotdshi ,aor aajkal movies ka prachar chal raha hai...par aapka lekh kafi rochak hai.
रोचक आलेख, बधाई.
क्या नाराजगी है भाई मेरे...मेरी पसंद में हम नहीं दिख रहे आपके ब्लॉग पर. तभी तो ट्रेफिक नहीं मिल पा रहा है. :)
मुझे छोड कर किसी को भी बना दो,यार एक बात समझ मे नही आती ?सब इस राखी संवत के पिछे क्यो पड गये हे,वो तो खाती भी कम हे पहनती भी कम हे
raj ji, khub kaha apane.
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