Wednesday, 26 March 2008
ब्रिटिश मीडिया ने कराई प्रिन्स हैरी को आफ्गानिस्तान कि यात्रा
मीडिया अगर जनता को ये बताए की वो उन्हे पूरा सच नही बताएगा तो स्थिति विकट हो जाएगी. कुछ ऐसा ही ब्रिटेन मे हुआ. ब्रिटिश मीडीया ने एक डील के तहत प्रिन्स हैरी की आफ्गानिस्तान मे तैनाती की खबरें लोगों तक नही पहुचाई. पूरे विश्व में मीडिया आर्थिक दबावों से घिरा हुआ है और अगर ऐसी डील की जाती रही तो मीडिया को संकुचित होने में समय नही लगेगा. इस तरह के बेमानी फ़ैसलो से पत्रकारों और और समाज दोनो का ही घाटा होगा. ये मेरे लिए चिंता का विषय है. इस डील से ब्रिटिश मीडिया ने अपनी हालत सरकार के लिए कम करने वाली पी.आर एजेन्सी जैसी कर ली. आप कहेंगे की अगर ब्रिटिश मीडिया ने ऐसा किया तो ग़लत क्या है? आख़िर प्रिन्स के आफ्गानिस्तान मे होने की ख़बरे बाहर आ जाती तो उनके साथ कई फ़ौजियों की जान को ख़तरा हो सकता था. सही है, मीडिया को राष्ट्रीय त्रासदी के समय सरकार का साथ देना चाहिए. पर इस मामले मे तो कोई त्रासदी नही थी. प्रिन्स हैरी को आफ्गानिस्तान जाने की कोई आवश्यकता नही थी. उनकी वहाँ उपस्थिति से ब्रिटिश फौज की सफलता के आकड़ों मे कोई खास फराक तो नही पड़ा.उनके लिए बहादुरी की बात तब होती जब वे अपनी व्यक्तिगत इच्छाएँ पूरी करने की जगह साथी जवानों की सुरक्षा का ख़याल करते. सरकार को पता था की प्रिन्स की वार ज़ोन मे तैनाती से जवानों की जान जाने का ख़तरा बढ़ जाएगा पर फिर भी उन्हे भेजा गया. इसका विरोध करने की जगह मीडिया ने सरकार का साथ दिया. जिस तरह से प्रिन्स के वार ज़ोन छोड़ने के वीडियो और चित्र मीडिया में आए उससे साफ हो गया की सब कुछ पहले से तय था. सरकार के लिए तो दीवाली मन गयी, प्रिन्स को वार ज़ोन के दर्शन भी करा दिए और हीरो भी बना दिया. इन सबके बीच किरकिरी मीडिया की हुई. अपने बचाव में मीडिया ने तर्क दिया की प्रिन्स असली वार ज़ोन से दूरी पर थे. फिर उन्हे हीरो क्यूँ बना दिया? इसी से साबित हो जाता है की सब कुछ एक ड्रामा था.अगर इसी तरह की घटनाएँ होती रही तो वो दिन दूर नही जब लोंग मीडिया का विकल्प तलाशने में जुट जाएगें. ब्लॉग इस समय सबसे सशक्त विकल्प है. प्रिन्स हैरी की तैनाती की खबर भी सबसे पहले एक ब्लॉग पर ही आई थी.
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2 comments:
विकास जी ,सब के सिर पर हीरो बनाने का या अपने बेटे बेटियो को हीरो बनाने का शोंक सवार हे चाहे गरीबो की लाशो मे ही कयो ना चलना पडे,गरीब कब तक चीखे गा..
Very well said. Vikas what are ur views on the recent raj thackeray issue. Could u write something abt it.
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