द टेलीग्राफ में छपी एक खबर ने ग्रेट अमेरिकन ड्रीम के बारे में सोचने पर मज़बूर कर दिया है. खबर के अनुसार अमेरिका में सैलाब के बाद पुनर्निर्माण कार्य में लगे भारतीय मज़दूरों की दशा अत्यंत दयनीय है. अमेरिका में एशिया के मज़दूरों की मानवाधिकारों के लिए लड़ाई जारी है. हमारे टीवी वालों ने अमेरिका के चुनावों पर तो खूब गला साफ किया, पर इस खबर को समय देना शायद घाटे का सौदा रहा होगा. पिछले कुछ महीनों में भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों की हत्या की खबरें लगातार आती रहीं हैं. क्या ग्रेट अमेरिकन ड्रीम धुंधला हो रहा है खबर का पता--http://www.telegraphindia.com/1080308/jsp/foreign/story_8994936.jsp
Sunday, 9 March, 2008
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